नमस्कार मित्रो मै आप लोगो के आशीर्वाद प्राप्त कर कुछ लिखना चाहता हूँ. .उम्मीद करता हूँ की कुछ गलती होने पर आप माफ करेंगे तथा साथ ही आप उचित मार्गदर्शन करेंगे..
जिस मुद्दा को लिख रहा हु...उस पर आज कल बहुत ही जायदा बयानबाज़ी होती है..चाहे वो पत्रकारों द्वारा हो या नेताओ के द्वारा या अन्य किन्ही और लोगो के द्वारा..आज जब हम अपने आप को देखते हैं तो गर्व होता की हम एक आधुनिक समाज के हिस्सा है..पर उस आधुनिक समाज के पीछे के काली सच्चाई को क्या पचा पाते है उसे स्वीकार कर पाते है...बहुत तकलीफ होती है जब कहीं पर यह पढता या सुनता हूँ की किसी महिला की अस्मत लुटी गयी है..और आप व् शयद यही महसुश करते होंगे..और उससे अधिक शर्मनाक तब होता है जब हमारे ही समाज की पढ़े लिखे लोगो के द्वारा यह सुनने को मिलता है की गलती लड़की की ही होगी..वैसे लोगो से बस एक सवाल पूछना चाहूँगा की पांच-छे वर्ष की लड़की के साथ यह घटना होती है..तो उसमे उसकी क्या गलती होती है..और तो और इस तरह की घटना होने के बाद हम लोग समूह बनाकर चिल्लाते है कानून की दुहाई देते है कैंडल मार्च निकालते है और बाद में धीरे-धीरे सब भूल जाते है..जब हमारे ही सामने किसी महिला को परेशां किया जाता है..या गलत हरकत की जाती है तो हम वहाँ से आंख बन्द कर कन्नी काट लेते है..हमें क्या? लेकिन ऐसा कुछ अपनों पर बीतता है तो उसका दर्द महसुस होता है.. इस सब को एक दिन में नहीं रोका जा सकता है..पर जरुरत है तो एक कोशिश करने की..कही पर किसी के साथ इस तरह की कोई भी छेरखानी हो तो उसका पुर जोर बिरोध किया जाना..इसके प्रति लोगो को जागरूक होना और सबसे अहम् और कड़वा सच्चाई महिलाओ के प्रति अपना नजरिया बदलना की वो केवल वासना की चीज़ नहीं है...बहन-बेटी किसी की हो उनके प्रति आदर का भाव होना...क्योंकि जिसके प्रति हमारा जैसा नजरिया होता है हम उसके बारे में वैसा ही सोचते है............
धन्यवाद